Friday 19 June 2009

पिता परमेश्वर पिता है ज्ञानी,पिता विद्वान,पिता विज्ञानी
एक वृक्ष की एक कहानी लादे फल खड़ा अभिमानी,
सुर मुर नदिया सी बहती है ऐसी उसकी जवानी,
लहरों में भी सीधा चलता है,हाथ में दो घूट पानी,
दो सवालो में तय करता अपनी आगे की जिंदगानी,
दो सवालो में रह जाते उसकी आखो का वो पानी ,
दो खंजर से ही वो मरता वरना मौत उसे कहा आनी,
एक पिता की यही कहानी,एक पिता की यही कहानी

नितिन अग्रवाल

Friday 12 June 2009

बहुत तनहा था जालिम इस बेरहम दुनिया में ;
तुने जिंदगी में आकर इसे और तनहा कर दिया;

नितिन अगरवाल

Monday 13 April 2009

ऐ मौत तुझसे सिर्फ़ मेरा एक सवाल ,
दूर करती है तू कष्ट हजार ,
फ़िर क्यों आती है बस एक बार ,
बन जाती क्यों नही दोस्त हमारी ,
बाटेंगे गम अपने बारी -बारी ,
जी के तो देख जरा इस दुनिया में,
तब तो पता लगेगी तुझे जरुरत तुम्हारी ,
घुट -घुट के जीता है यहाँ आदमी ऐसे,
सागर में डूबता हुआ जहाज हो जैसे ,
जियेगी जिंदगी तो जिंदगी से डर जायेगी ,
मांगेगी बस यही दुआ ऐ मौत यह मौत मुझे कब आयेगी
written by nitin agarwal